जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव नजदीक आ रहे है ठीक वैसे ही पार्टी बदलने वालो के मामले भी बढ़ते जा रहे है | अब इन्ही बढ़ते केसों को लेकर उच्चतम न्यायालय ने चिंता जाहिर की है, जिससे ये माना जा रहा है कि दल-बदल करने वाले सभी नेताओ पर जल्द ही नकेल कसी जाएगी |
दरअसल हाल ही में NCP के चुनाव चिह्न को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई | इस दौरान कोर्ट ने NCP शरद चंद्र पवार के चुनाव चिह्न ‘तुरही बजाता आदमी’ को मंजूरी दी। इसके साथ ही शीर्ष कोर्ट ने चुनाव से पहले विधायको के चल रहे दल-बदल को लेकर तल्ख टिप्पणी की। अदालत ने कहा कि कोई दलबदल करता है और फिर पाला बदलने वाले गुट को ही असली पार्टी के रूप में मान्यता मिल जाती है। क्या यह मतदाताओं के साथ मजाक नहीं होगा? गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में शरद पवार दल की ओर से दाखिल याचिका में चुनाव आयोग के 6 फरवरी वाले फैसले को चुनौती दी गई थी, जिसमें आयोग ने पार्टी का नाम और चिह्न अजित गुट को दे दिया था। रिपोर्ट के मुताबिक, अजित और शरद पवार गुट को लेकर सुनवाई में शीर्ष अदालत ने कहा कि चुनाव आयोग ने अपना फैसला विधायकी ताकत के हिसाब से तय किया है जबकि संगठनात्मक शक्ति को दरकिनार किया गया। यह स्थिति संविधान की दसवीं अनुसूची का पालन नहीं करती है।
गौरतलब है कि यह पहली बार नहीं है, जब इस तरह के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की हो। इससे पहले मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने भी असली शिवसेना का चयन करने के लिए विधायकों की संख्या को आधार रखने पर चिंता जताई थी। उद्धव ठाकरे गुट ने मामले में याचिका डाली थी कि महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर ने एकनाथ शिंदे समूह के विधायकों को अयोग्य घोषित करने के उनके फैसले को पलट दिया था।
वही, 10 जनवरी को महाराष्ट्र विधानसभा में फैसले लेते हुए स्पीकर नारवेकर ने माना था कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाला गुट ही असली शिवसेना है क्योंकि 21 जून 2022 को उनके पास शिवसेना के 54 में से 37 विधायकों का भारी बहुमत है।