सुप्रीम कोर्ट का सख्त आदेश,SBI कल तक दे इलेक्टोरल बॉन्ड का डेटा,चुनाव आयोग 15 मार्च तक वेबसाइट पर डाले, बैंक ने मांगा था 30 जून तक का समय

चुनावी बॉन्ड मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान भारतीय स्टेट बैंक ने ब्योरा देने के लिए और वक्त की मांग की तो टॉप कोर्ट ने पूछा कि दिक्कत कहां आ रही है? बैंक के पास तो सीलबंद लिफाफा है. ऐसे में वह उसे खोले और सुप्रीम कोर्ट को आंकड़ा उपलब्ध कराए|

सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी SBI की ओर से दी गई उस याचिका पर हियरिंग के दौरान आई, जिसमें राजनीतिक दलों की ओर से भुनाए गए चुनावी बॉन्ड के विवरण की जानकारी देने की समय सीमा 30 जून तक बढ़ाए जाने को लेकर गुजारिश की गई थी, सुनवाई शुरू होने पर SBI की तरफ से वकील हरीश साल्वे ने कहा, “हमने अतिरिक समय का अनुरोध किया है. हमने आदेश के मुताबिक, चुनावी बॉन्ड जारी करना भी बंद कर दिया है. हमें आंकड़ा देने में कोई समस्या नहीं है. हमें सिर्फ उन्हें व्यवस्थित करने में कुछ समय लगेगा. इसका कारण यह है कि हमें पहले बताया गया था कि यह गुप्त रहेगा. इसलिए बहुत कम लोगों के पास इसकी जानकारी थी. यह बैंक में सबको उपलब्ध नहीं था.”

हरीश साल्वे की दलीलें सुनने के बाद CJI चंद्रचूड़ ने कहा, “हमने पहले ही SBI को आंकड़ा जुटाने को कहा था. उस पर अमल किया गया होगा, फिर क्या समस्या आ रही है. हमने उसे व्यवस्थित करने के लिए नहीं कहा था,” जवाब में SBI के वकील ने कहा, “क्रेता का नाम और खरीद का आंकड़ा अलग रखा गया है.” इस पर आगे CJI बोले कि लेकिन सारे आंकड़े मुंबई मुख्य ब्रांच में हैं, जबकि जस्टिस खन्ना ने कहा- जहां तक जानकारी है, उस हिसाब से बैंक पास सील लिफाफे में सारी चीजें हैं. आप सील खोलिए और आंकड़ा उपलब्ध कराइए. इसमें कोई समस्या नहीं होनी चाहिए.

आगे हरीश साल्वे बोले कि क्रेता का नाम देने में दिक्कत नहीं है. तारीखों से मिलान में अभी समय लग रहा है. CJI ने इस तर्क पर कहा कि आदेश तो 15 फरवरी, 2024 का है. आपको बताना चाहिए था कि अब तक क्या किया. फिर बैंक के वकील बोले, “हमने अगर सही तरीके से आंकड़ा नहीं दिए तो क्रेता हम पर मुकदमा कर सकता है.” CJI चंद्रचूड़ इस पर बोले- ठीक है. अब तक हमें जो चुनाव आयोग ने उपलब्ध कराया है, उसे हम अभी सार्वजनिक कर देते हैं. आप बाकी मिलान करते रहिएगा.

बता दें कि, सुप्रीम कोर्ट ने SBI को निर्देश दिया था कि वह 6 मार्च तक दानदाता की तरफ से ऐसे बॉन्ड्स की खरीद और राजनीतिक पार्टी की तरफ से उसे कैश करने की पूरी जानकारी चुनाव आयोग को दे, चुनाव आयोग को यह आंकड़ा 13 मार्च तक वेबसाइट पर अपलोड करना था

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