बुधवार, 17 अप्रैल रामनवमी के दिन रामलला का सूर्य तिलक होने जा रहा है, लेकिन इससे पहले वैज्ञानिको ने इसका ट्रायल किया है, जिसका विडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है |
तो आपने देखा किस प्रकार वैज्ञानिको ने यह प्रयास किया है | और अब बताया जा रहा है कि 17 अप्रैल को भी इसी तरह रामलला के ललाट पर किरणें पड़ेंगी और रामलला का सूर्य तिलक होगा।
इसके अलावा राम मंदिर ट्रस्ट के आचार्य सत्येंद्र दास ने बताया कि सूर्य तिलक का दृश्य अद्भुत था। वैज्ञानिकों ने जिस तरह से प्रयास किया, वह बहुत सराहनीय है। त्रेता युग में भी जब प्रभु राम ने जन्म लिया था तो उस दौरान सूर्य देव 1 महीने तक अयोध्या में रुके थे। त्रेता युग का वह दृश्य अब कलयुग में भी साकार हो रहा है।
जानकारी के लिए आपको बता दे IIT रुड़की के सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट यानि CBRI ने यह सिस्टम बनाया है। प्रोजेक्ट के वैज्ञानिक देवदत्त घोष के मुताबिक, यह सूर्य के पथ बदलने के सिद्धांतों पर आधारित है। इसमें एक रिफ्लेक्टर, 2 दर्पण, 3 लेंस, पीतल पाइप से किरणें मस्तक तक पहुंचाई गईं।