सपा व भाजपा की प्रतिष्ठा दांव पर…..अखिलेश के मैदान में उतरते ही दिलचस्प बना कन्नौज का सियासी रण

डॉ. राम मनोहर लोहिया की कर्म भूमि रहे कन्नौज में जब खांटी समाजवादी व राजनीति के मंझे पहलवान मुलायम सिंह यादव ने राजनीतिक विरासत संभाली तो फिर उनके कभी पांव नहीं उखड़े। जब जरूरत पड़ी, तब बदलाव कर पीढ़ी दर पीढ़ी विरासत काबिज रखी। लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी की आंधी से ही सपा परिवार की जड़ें यहां कमजोर होनी शुरू हुईं, और 2019 में सपाई गढ़ पूरी तरह ध्वस्त हो गया और अखिलेश की पत्नी डिंपल यादव चुनाव हार गईं.

सांसद चुने गए सुब्रत पाठक और अखिलेश यादव के बीच उसके बाद से ही जुबानी जंग छिड़ती रही है, लेकन अब ये जुबानी जंग चुनावी मैदान में आ गई है, 2024 में अब उसी मुलायम परिवार में विरासत संभालने के लिए सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव एक बार फिर मैदान में हैं, हालाकिं, सपा ने यहाँ से पहले तेज प्रताप को मैदान में उतारा था, लेकिन कन्नौज के वर्तमान भाजपा सांसद सुब्रत ने सपा सुप्रीमो को चुनौती दे डाली, सुब्रत ने कहा कि सपा अध्यक्ष मैदान में आते तो उन्हें पता चल जाता, इस चुनौती के बाद तेजी से घटनाक्रम बदला और 24 अप्रैल की शाम को सपा के वरिष्ठ नेता राम गोविंद चौधरी ने कन्नौज से अखिलेश यादव के चुनाव लड़ने के संकेत दिए, और शाम होते- होते अखिलेश के नाम पर मुहर लग गई, जैसे सपा सुप्रीमो का कन्नौज से चुनाव लड़ना फ़ाइनल हुआ तो कन्नौज का सियासी रण काफी दिलचस्प हो गया।

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कन्नौज लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद फेसबुक पर डाली गई पोस्ट में लिखा कि, मोहब्बत की महक फैलानी है? हमको लिखनी नई कहानी है!!…’कन्नौज क्रांति’ अब होकर रहेगी। सपा सुप्रीमो ने आगे लिखा सुगंध की नगरी सकारात्मक राजनीति के जवाब के रूप में, नकारात्मक राजनीति करने वाली भाजपा को जिस तरह की पराजय की ओर ले जा रही है, इतिहास में उसे ‘कन्नौज-क्रांति’ के नाम से जाना जाएगा।

जैसे ही अखिलेश यादव ये पोस्ट डाली, तो कन्नौज के मौजूदा भाजपा सांसद और प्रत्याशी सुब्रत पाठक कहा पीछे रहने वाले थे, सपा के दांव पर उन्होंने कहा कि प्रदेश में अखिलेश यादव सबसे बड़ा सांप्रदायिक चेहरा हैं, वह माफियाओं के मातम में जाते हैं। कन्नौज की जनता ने हमेशा इतिहास लिखा है, इस बार भी अखिलेश को पराजित करने का मन हर जन बना चुका है। फिर बनने जा रहा इतिहास दुनिया देखेगी।……….अब इतिहास क्या लिखा जाएगा ये तो 4 जून को नतीजो में ही पत्ता चलेगा।

लेकिन आपको इतना बता दें कि, कन्नौज सीट पर सपा व भाजपा दोनों ही दलों के दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर है। सपा में स्वयं अखिलेश यादव पर ही इस सीट को लेकर जिम्मेदारी है। इसी तरह भाजपा में सांसद सुब्रत, समाज कल्याण मंत्री व सदर विधायक असीम अरुण, जिला पंचायत अध्यक्ष प्रिया शाक्य, छिबरामऊ, तिर्वा व रसूलाबाद विधायक क्रमश: अर्चना पांडेय, कैलाश राजपूत व पूनम संखवार की प्रतिष्ठा लगी है, अब किसी प्रतिष्ठा जनता बचाती है और किस की नहीं ये तो चुनाव के नतीजों में ही साफ हो पाएगा।

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